Vedrishi

Free Shipping Above 1000 On All Books | 5% Off On Shopping Above 10,000 | 15% Off On All Vedas,Darshan, Upanishad | 10% Off On Shopping Above 25,000 |
Free Shipping Above 1000 On All Books | 5% Off On Shopping Above 10,000 | 15% Off On All Vedas,Darshan, Upanishad | 10% Off On Shopping Above 25,000 |

वैदिक विवाह विमर्श

Vedic Vivah Vimarsh

80.00

Subject : About Vedic marriage 
Edition : 2023
Publishing Year : 2023
SKU # : #N/A
ISBN : 8171103715
Packing : Paperback
Pages : 123
Dimensions : 14X22X6
Weight : 151
Binding : Paperback
Share the book

पुस्तक का नाम – वैदिक विवाह विमर्श
लेखक का नाम डॉ. वेद प्रकाश

मनुष्य जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए शुद्ध विचारधारा की महती आवश्यकता है। जन्म से पूर्व तथा जन्म के पश्चात् दोनों ही स्थिति में शुद्ध विचारधारा का विधान हमारे ऋषियों ने किया है। परन्तु वर्तमान समय में नामकरणविवाह एवं अन्त्येष्टि को छो़ड़कर शेष सांस्कृति लुप्त होते जा रहे हैं। हमारे समाज में मानव हेतू सोलह आदर्श निश्चित किये गये हैं किन्तु वर्तमान समय में तो ये तीन आदर्श भी प्रायः प्रमाद के कारण शीघ्रतापूर्वक पूर्ण विधि विधान से नहीं किये जा रहे हैं। विधानपूर्वक पूर्ण मनोयोग से सम्पन्न किये गये आदर्श का मनोवैज्ञानिक प्रभाव व्यक्ति के जीवन में परिलक्षित होता है इनका निर्वाह नहीं करने का प्रभाव आज हमारे समाज में दृष्टिगोचर है, अतः वर्तमान समय में पारंपरिक वैज्ञानिकता को समाज के समक्ष रखना संस्कृतज्ञों एवं आर्यों का परम दायित्व है।

प्राचीन काल में उपनयन आदर्श के माध्यम से बालक को द्विज की संज्ञा प्राप्त होती थी अर्थात् उसका दूसरा जन्म माना जाता था परन्तु वर्तमान समय में उक्त नैतिक का लोप हो जाने से यह द्विजता की स्थिति विवाह सांस्कृति के उपरान्त होती है अर्थात् विवाह सांस्कृति के पश्चात् युवक एवं युवती का जीवन प्रायः परिवर्तित हो जाता है। अतः वैवाहिक जीवन सुखद हो इसके लिये वैदिक ऋषियों ने जो गृहस्थ जीवन के लिए उपदेश तथा विधि विधानों का निर्देश किया है, उन पर युवाओं को खुले मन से विचार करना होगा तथा अभिभावकों को पुरातनता एवं आधुनिकता में समन्वय स्थापित करना होगा।

जहाँ तक विवाह सुसंस्कृत की प्रक्रिया की बात है, यह सत्य है कि समाज के लोगों ने पुरोहितों को वर्तमान समय में सम्पूर्ण विधि-विधान को पूर्ण करने का समय देने बंद कर दिया है। विवाह के समय नृत्य, भोजन, स्टेज-प्रोग्राम आदि के लिए पर्याप्त समय वर तथा वधू के परिवार निकाल लेते हैं, परंतु विवाहसुसंस्कृत के नाम पर पुरोहित से शीघ्रता करने को कहा जाता है। अतः पुरोहितों का भी दायित्व है कि वे विवाह सांस्कृति के मन्त्रों को अर्थ सहित समझाकर उनकी उपयोगिता को समाज के बीच रखें।

प्रस्तुत पुस्तक में विवाह सांस्कृति के सिद्धान्त एवं प्रायोगिक पक्ष को स्पष्ट करने का समुचित प्रयास किया गया है। इस पुस्तक में विवाह सांस्कृति को वैदिकदृष्टि से प्रस्तुत किया गया है। वर्तमान समय में जब समाज को विवाह सांस्कृति एक समय नष्ट करने वाला सांस्कृति लगने लगा है तो उसके वैदिकपरिप्रेक्ष्य को यथायोग्य समझना अत्यन्त आवश्यक हो गया है।

आशा है कि यह पुस्तक युवकों एवं पुरोहितों को विशेष रूप से पसन्द आयेगी।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Vedic Vivah Vimarsh”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recently Viewed

You're viewing: Vedic Vivah Vimarsh 80.00
Add to cart
Register

A link to set a new password will be sent to your email address.

Your personal data will be used to support your experience throughout this website, to manage access to your account, and for other purposes described in our privacy policy.

Lost Password

Lost your password? Please enter your username or email address. You will receive a link to create a new password via email.

Close
Close
Shopping cart
Close
Wishlist