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ऋग्वेदादिभाष्य भूमिका
महर्षि दयानंद
वेद ईश्वरीय ज्ञान है. आधुनिक युग में यदि वेद के प्रति अपने जीवन को समर्पित किया है तो प्रथम नाम स्वामी दयानन्द सरस्वती का ही आयेगा. I
वैदिक विचार धारा की शिक्षाओं का स्रोत वेद ही हैं. स्वामी जी ने जब वेदों का भाष्य करना चाहा तो उससे पहले, वेद के मानक सिद्धान्तों का प्रतिपादन करना अनिवार्य समझा. I
महर्षि ने इस उद्देश्य को सामने रखते हुए ‘ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका’ का प्रणयन किया. दुसरे शब्दों में हम कह सकते हैं ऋषि दयानन्द ने वेदों के अर्थ रूपी ताले को खोलने के लिए हमें कुंजी रूप में ‘ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका’ प्रदान की. इसीलिए ऋषि ने अपने जीवन में वेदभाष्य लेने वाले के लिए ‘ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका’ साथ में लेने को अनिवार्य बताया.।
Rigvedadi Bhashya Bhumika |