ब्राह्मण ग्रंथों के राजनीतिक सिद्धांत

Brahman Granthon Ke Rajnitik Siddhant

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  • By : Dr Balbir Achary
  • Subject : Brahman Granthon Ke Rajnitik Siddhant
  • Category : Brahman Granth
  • Edition : 2004
  • Publishing Year : 2004
  • SKU# : N/A
  • ISBN# : 8190208500
  • Packing : Hardcover
  • Pages : 400
  • Binding : Hardcover
  • Dimentions : 14X22X4
  • Weight : 500 GRMS

Keywords : Brahman Granthon Ke Rajnitik Siddhant

ब्राह्मण ग्रन्थों की रचना, समस्त सत्य विद्याओं के मूल स्रोत एवं ज्ञान के अक्षय कोश रूप वेदों के परम रहस्य का उद्घाटन करने के लिए हुई थी। इस साहित्य में याज्ञिक कर्मकाण्ड के माध्यम से तत्त्वदर्शी ऋषियों ने मानव जीवनोपयोगी समस्त आध्यात्मिक और आधि भौतिक तत्वों के रूप में धर्म, दर्शन, संस्कृति, परिवार, समाज, राष्ट्र आदि का विवेचन प्रस्तुत किया है। इस साहित्य के अध्ययन से एक अत्यन्त समृद्ध, उन्नत, शक्तिशाली, मर्यादाओं के रक्षक, राष्ट्र का चित्र उभरकर सामने आता है। ब्राह्मण अपनी मेधा शक्ति का प्रयोग राष्ट्र निर्माण की योजनाओं में और क्षत्रिय क्षात्र तेज का प्रयोग शत्रुओं का विनाश करके राष्ट्र की सुरक्षा में करता था। वैश्य कृषि, पशुपालन, वाणिज्य और उद्योग द्वारा समृद्धि प्रदान करता था तो शूद्र सेवा एवं शिल्पकला से समाज में समरसता का भाव जागृत करता था।

राजनीति का ऐसा कोई पक्ष नहीं जो यहां अछूता रह गया हो। ग्राम सभा से लेकर सार्वभौम एकराट् संस्था तक का स्वरूप स्पष्ट किया गया है। ग्रामणी सेनापति, राजा, सूत, आदि मन्त्रिमण्डल, न्यायव्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सेना, राजकर्मचारी, राष्ट्र, कोश, सुहृत, पुर् आदि राजनीतिक तत्वों का स्पष्ट रूपेण उल्लेख किया गया है। इस काल की राजनीति का आदर्श था- शिवा नः सन्तु प्रदिशश्चतस्त्रः ।

डॉ० बलवीर आचार्य वैदिक साहित्य के मर्मज्ञ एवं अन्तर्राष्ट्रिय ख्याति प्राप्त विद्वान् हैं। प्रस्तुत शोधपूर्ण ग्रन्थ लेखक की मौलिक प्रतिभा का परिणाम है। वैदिक साहित्य के जिज्ञासुओं के लिए यह अत्यन्त उपयोगी और संग्रहणीय ग्रन्थ है।